BA Semester-5 Paper-1 History - Nationalism in Bharat - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2786
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उग्रपंथियों के उदय के क्या कारण थे?

अथवा
कांग्रेस के उग्रपंथी युग के उदय के कारणों की विवेचना कीजिए।

सम्बन्धित लघु / अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. आर्थिक असन्तोष की उग्रपंथियों के उदय में क्या भूमिका रही?
2. धार्मिक-सांस्कृतिक पुनरुत्थान ने किस प्रकार उग्र राष्ट्रीयता को जन्म दिया? '
3. लाल-बाल-पाल' का नेतृत्व उग्रपंथियों के लिए प्रेरणास्रोत था, स्पष्ट कीजिए।
4. बंगाल का विभाजन उग्रपंथियों के उदय का प्रमुख कारण था, विवेचना कीजिए।
5. उग्रवादी दल की उत्पत्ति तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।

उत्तर -

सन् 1885 ई. से 1905 ई. तक कांग्रेस का नेतृत्व उदारवादी नेताओं के हाथ में रहा। परन्तु इस अवधि में भारत व विदेशों में कुछ ऐसी घटनाएँ भी घटित हुईं, जिनसे कांग्रेस एवं भारतीय समाज की युवा पीढ़ी में एक नया जोश उत्पन्न हुआ। यह युवा पीढ़ी संवैधानिक साधनों के प्रति अधिक आशावान नहीं थी। इनका अंग्रेजों की न्यायप्रियता से विश्वास उठ गया था। अब वे यह अनुभव करने लगे थे कि स्वराज्य माँगने से नहीं अपितु संघर्ष करने से ही प्राप्त होगा। इस प्रकार संघर्ष द्वारा स्वतन्त्रता प्राप्त करने के मार्ग को अपनाने वाली इस नवीन विचारधारा को ही उग्र राष्ट्रीयता की संज्ञा दी जाती है। इस धारणा का प्रभाव कांग्रेस में भी दिखाई देने लगा और इसी कारण कांग्रेस में उग्रपंथी खेमे का उदय हुआ।

वस्तुतः कांग्रेस में उग्रपंथी चरण के उदय के कई कारण थे, इनमें से प्रमुख कारणों का उल्लेख निम्नांकित शीर्षकों के अन्तर्गत किया जा सकता है -

उग्रपंथी युग के उदय के कारण - 20 वीं सदी के पूर्वार्द्ध में भारत में उग्र राष्ट्रीयता का उदय हुआ, वह आकस्मिक न होकर विभिन्न घटनाओं, परिस्थितियों और शक्तियों के प्रभावों का स्वाभाविक परिणाम था। उग्रपंथी युग के उदय के निम्नलिखित प्रमुख कारण बताए जा सकते हैं

(i) सुधारों की अपर्याप्तता - लगभग 20 वर्षों तक उदारवादी नेताओं के हाथ में कांग्रेस की बागडोर रही। ये नेता अंग्रेजों की न्यायप्रियता में विश्वास रखते थे और प्रशासन में क्रमिक सुधार के लिए प्रार्थना-पत्रों, स्मृति-पत्रों और प्रतिनिधि मण्डलों के माध्यम से ब्रिटिश सरकार के समक्ष अपनी माँगें प्रस्तुत करते थे। ब्रिटिश सरकार द्वारा इनकी माँगों की उपेक्षा निरन्तर की जाती रही और ये निरन्तर प्रार्थनाएँ करते रहें। इससे कांग्रेस के युवा वर्ग के नेताओं को निराशा होने लगी और लोकमान्य तिलक, लाला लाजपत राय, विपिनचन्द्र पाल जैसे युवा कांग्रेसी नेता बेचैन हो उठे। इस सन्दर्भ में लाला लाजपत राय का कहना था कि - "भारतीयों को अब भिखारी बने रहने में ही सन्तोष नहीं करना चाहिए और न ही उन्हें अंग्रेजों की कृपा पाने के लिए गिड़गिड़ाना चाहिए।" इस उदारवादी युग में अपेक्षित सुधार न हो पाना उग्रपंथियों के उदय का प्रमुख कारण बन गया।

(ii) आर्थिक असन्तोष - आर्थिक असन्तोष किसी भी व्यवस्था में विद्रोह का प्रमुख कारण माना जाता है। जैसाकि लॉर्ड बेकन का भी अभिमत है कि -" अधिक दरिद्रता और आर्थिक असन्तोष क्रान्ति को जन्म देते हैं।' भारत में भी उग्रपंथी युग के उदय के सन्दर्भ में यह कथन पूर्णतया सत्य प्रतीत होता हैं। 19 वीं सदी के अन्त तक अंग्रेजों ने भारतीय उद्योग-धन्धों को चौपट करके भारत को मात्र कच्चे माल का बाजार बना दिया था। इंग्लैण्ड के व्यापारी भारत से कच्चा माल इंग्लैण्ड ले जाते थे और अपने कारखानों में अनेक वस्तुएँ अधिक से अधिक मात्रा में उत्पादित करके भारत के बाजारों में बेचते थे। इससे भारत का करोडों रुपया ब्रिटेन जाने लगा। फलस्वरूप भारत की आर्थिक दशा निरन्तर जर्जर होती जी रही थी। सरकार की इस नीति के कारण भारत में चारों ओर गम्भीर आर्थिक असन्तोष का माहौल व्याप्त होने लगा। अन्ततः यह असन्तोष भी उग्रपंथी चरण के उदय का प्रमुख कारण बना।

(iii) धार्मिक-सांस्कृतिक पुनरुत्थान - कांग्रेस के उदारवादी नेता पाश्चात्य सभ्यता और संस्कृति से अत्यधिक प्रभावित थे। उनका मानना था कि पाश्चात्य धर्म, साहित्य, राजनीतिक संस्थाएँ भाषा और संस्कृति भारतीयों की तुलना में श्रेष्ठ हैं। परन्तु 19वीं सदी के अन्तिम वर्षों में धार्मिक पुनरुत्थान के आन्दोलन व सांस्कृतिक नवजागरण के कारण भारतीयों का ध्यान अपने प्राचीन गौरव की ओर गया और पाश्चात्य सभ्यता के प्रति उनके मन में जो श्रेष्ठता का भाव था, वह जाता रहा। आर्य समाज, रामकृष्ण मिशन, थियोसोफिकल सोसायटी इत्यादि ने भारतीयों में अपनी समस्याओं को स्वयं हल करने के प्रति आत्मविश्वास जाग्रत किया। इस धार्मिक पुनर्जागरण के प्रभावस्वरूप ही बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय और विपिनचन्द्र पाल ( लाल-बाल-पाल) जैसे नेताओं का प्रादुर्भाव हुआ। लाला लाजपत राय ने पाश्चात्य सभ्यता में रंगे भारतीयों की खिल्ली उड़ाई और उन्हें अपने देश के गौरवमयी अतीत से प्रेरित होन का आह्वान किया।

(iv) प्राकृतिक प्रकोप - उग्र राष्ट्रवाद के उदय में प्राकृतिक प्रकोपों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। 19वीं शताब्दी के अन्त तक भारत में बेरोजगारी और निर्धनता काफी हद तक बढ़ चुकी थी। इसी समय सन् 1876 ई. से 1900 ई. के मध्य देश में 18 बार अकाल पड़े। इनमें से सबसे भीषण अकाल 1896-97 ई. का था। इस अकाल से भारत की लगभग 7 करोड़ जनता बुरी तरह से प्रभावित हुई थी परन्तु शासन ने इसे गम्भीरता से नहीं लिया। एक ओर जनता भूख से तिलमिला रही थी, लोग भूख से मर रहे थे, तो वहीं दूसरी ओर ब्रिटिश शासन द्वारा 1897 ई. में ही रानी विक्टोरिया की जयन्ती का उत्सव मनाने हेतु दिल्ली में शानदार दरबार का आयोजन किया गया। इस समारोह में अपार धन का अपव्यय किया गया। इस सन्दर्भ में प्रो. राम गोपाल ने लिखा है कि- "सारा काम इस ढंग का था, जैसे दुश्मन द्वारा जीते गये किन्हीं शहरों को फूंका जा रहा हो।' इस प्रकार प्राकृतिक आपदाओं के समय ब्रिटिश शासन द्वारा अपनाई गई नीतियों ने भी उग्र राष्ट्रीयता के उदय को अवश्यम्भावी बना दिया।

(v) लाल-बाल-पाल का कुशल नेतृत्व - उग्र राष्ट्रीयता के उदय का एक अन्य प्रमुख कारण लाल (लाला लाजपत राय), बाल (बाल गंगाधर तिलक) व पाल (विपिन चन्द्र पाल ) का कुशल नेतृत्व भी था। ये नेता अटूट देशभक्त व ब्रिटिश शासन के कट्टर शत्रु भी थे। इनमें अद्भुत संगठन की शक्ति और नेतृत्व के गुण थे। तिलक ने यह उद्घोष दिया कि "स्वतन्त्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार हैं और मैं इसे लेकर रहूँगा।" इसी प्रकार लाला लाजपत राय ने कहा कि - "भिखारियों से अंग्रेज सबसे अधिक घृणा करते हैं और मैं सोचता हूँ कि भिखारी घृणा का पात्र है भी। अतः हमारा यह कर्तव्य है कि हम सिद्ध कर दें कि हम भिखारी नहीं हैं।" अपने ओजस्वी विचारों से इन महान नेताओं ने महाराष्ट्र, पंजाब, बंगाल तथा अन्य क्षेत्रों में एक नई जागृति पैदा कर दी। इन नेताओं ने भिक्षावृत्ति का मार्ग त्यागकर अहिंसात्मक आन्दोलन का मार्ग अपनाने पर बल दिया।

(vi) बंगाल का विभाजन - सन् 1905 ई. में ब्रिटिश शासन द्वारा बंगाल के विभाजन की योजना को क्रियान्वित किया गया। यह लार्ड कर्जन का एक मूर्खतापूर्ण व आत्मघाती निर्णय सिद्ध हुआ। उसने बंगाल को पूर्वी या पश्चिमी दो भागों में विभाजित कर दिया। ब्रिटिश सरकार ने यह तर्क दिया कि यह विभाजन प्रशासनिक सुविधा हेतु किया गया है परन्तु वास्तव में यह कार्य हिन्दुओं और मुसलमानों में फूट डालकर उन्हें परस्पर लड़ाने का एक सोचा-समझा षड्यन्त्र था। इस कार्य ने न केवल बंगाल अपितु समस्त भारत के जनमानस को उद्वेलित कर दिया। इस सन्दर्भ में गोपाल कृष्ण गोखले जैसे उदारवादी नेताओं को यह कहना पड़ा कि - "सबसे बुरी बात तो यह है कि बहुत से व्यक्ति अंग्रेजों की सत्यनिष्ठा और न्यायप्रियता में विश्वास खोने लगे हैं। इसी प्रकार तो उग्रवादी पैदा किये जाते हैं।" इस प्रकार बंगाल विभाजन के दुस्साहसिक कृत्य ने भी उग्रपंथी आन्दोलन के उदय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अन्ततः कहा जा सकता है कि उपर्युक्त कारणों के परिणामस्वरूप अखिल भारतीय कांग्रेस में एक नये दल का उदय हुआ जो अपनी उग्रवादी नीति के कारण इतिहास में उग्रपंथियों के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के कारणों की समीक्षा कीजिए।
  2. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के स्वरूप पर एक निबन्ध लिखिए। उनके परिणाम क्या रहे?
  3. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति के प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
  4. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह का दमन करने में अंग्रेज किस प्रकार सफल हुए, वर्णन कीजिये?
  5. प्रश्न- सन् 1857 ई० की क्रान्ति के परिणामों की विवेचना कीजिये।
  6. प्रश्न- 1857 ई० के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख घटनाओं का वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- 1857 के विद्रोह की असफलता के क्या कारण थे?
  8. प्रश्न- 1857 के विद्रोह में प्रशासनिक और आर्थिक कारण कहाँ तक उत्तरदायी थे? स्पष्ट कीजिए।
  9. प्रश्न- 1857 ई० के विद्रोह के राजनीतिक एवं सामाजिक कारणों का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- 1857 के विद्रोह ने राष्ट्रीय एकता को किस प्रकार पुष्ट किया?
  11. प्रश्न- बंगाल में 1857 की क्रान्ति की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के लिए लार्ड डलहौजी कहां तक उत्तरदायी था? स्पष्ट कीजिए।
  13. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह के राजनीतिक कारण बताइये।
  14. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति के किन्हीं तीन आर्थिक कारणों का उल्लेख कीजिये।
  15. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति में तात्याटोपे के योगदान का विवेचन कीजिये।
  16. प्रश्न- सन् 1857 ई. के महान विद्रोह में जमींदारों की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
  17. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह के यथार्थ स्वरूप को संक्षिप्त में बताइये।
  18. प्रश्न- सन् 1857 ई. के झाँसी के विद्रोह का अंग्रेजों ने किस प्रकार दमन किया, वर्णन कीजिये?
  19. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विप्लव में नाना साहब की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
  20. प्रश्न- प्रथम स्वाधीनता संग्राम के परिणामों एवं महत्व पर प्रकाश डालिए।
  21. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवाद के प्रारम्भिक चरण में जनजातीय विद्रोहों की भूमिका का परीक्षण कीजिए।
  22. प्रश्न- भारत में मध्यम वर्ग के उदय के कारणों पर प्रकाश डालिए। भारतीय राष्ट्रवाद के प्रसार में मध्यम वर्ग की क्या भूमिका रही?
  23. प्रश्न- भारत में कांग्रेस के पूर्ववर्ती संगठनों व इसके कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  24. प्रश्न- भारत में क्रान्तिकारी राष्ट्रवाद के उदय में 'बंगाल विभाजन' की घटना का क्या योगदान रहा? भारत में क्रान्तिकारी आन्दोलन के प्रारम्भिक इतिहास का उल्लेख कीजिए।
  25. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदय की परिस्थितियों पर प्रकाश डालते हुए कांग्रेस की स्थापना के उद्देश्यों की विवेचना कीजिए।
  26. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के प्रारम्भिक वर्षों में कांग्रेस की नीतियाँ क्या थी? सविस्तार उल्लेख कीजिए।
  27. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उग्रपंथियों के उदय के क्या कारण थे?
  28. प्रश्न- उग्रपंथियों द्वारा किन साधनों को अपनाया गया? सविस्तार समझाइए।
  29. प्रश्न- भारत में मध्यमवर्गीय चेतना के अग्रदूतों में किन महापुरुषों को माना जाता है? इनका भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन व राष्ट्रवाद में क्या योगदान रहा?
  30. प्रश्न- गदर पार्टी आन्दोलन (1915 ई.) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में कांग्रेस के द्वारा घोषित किये गये उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- कांग्रेस सच्चे अर्थों में राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व करती थी, स्पष्ट कीजिये।
  33. प्रश्न- जनजातियों में ब्रिटिश शासन के प्रति असन्तोष का सर्वप्रमुख कारण क्या था?
  34. प्रश्न- महात्मा गाँधी के प्रमुख विचारों पर प्रकाश डालते हुए उनके भारतीय राजनीति में पदार्पण को 'चम्पारण सत्याग्रह' के विशेष सन्दर्भ में उल्लिखित कीजिए।
  35. प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में महात्मा गाँधी की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के प्रारम्भ होने प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
  37. प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन का प्रारम्भ कब और किस प्रकार हुआ? सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कार्यक्रम पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- 'भारत छोड़ो आन्दोलन' के प्रारम्भ होने के प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
  39. प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में टैगोर की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  40. प्रश्न- राष्ट्र एवं राष्ट्रवाद पर टैगोर तथा गाँधी जी के विचारों की तुलना कीजिए।
  41. प्रश्न- 1885 से 1905 के की भारतीय राष्ट्रवाद के विकास का पुनरावलोकन कीजिए।
  42. प्रश्न- महात्मा गाँधी द्वारा 'खिलाफत' जैसे धार्मिक आन्दोलन का समर्थन किन आधारों पर किया गया था?
  43. प्रश्न- 'बारडोली सत्याग्रह' पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  44. प्रश्न- गाँधी-इरविन समझौता (1931 ई.) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- 'खेड़ा सत्याग्रह' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारपंथी चरण के विषय में बताते हुए उदारवादियों की प्रमुख नीतियों का उल्लेख कीजिये।
  47. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारपंथी चरण की सफलताओं एवं असफलताओं का उल्लेख कीजिए।
  48. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उग्रपंथियों के उदय के क्या कारण थे?
  49. प्रश्न- उग्रपंथियों द्वारा पूर्ण स्वराज्य के लिए किन साधनों को अपनाया गया? सविस्तार समझाइए।
  50. प्रश्न- उग्रवादी तथा उदारवादी विचारधारा में अंतर बताइए।
  51. प्रश्न- बाल -गंगाधर तिलक के स्वराज और राज्य संबंधी विचारों का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- प्रारम्भ में कांग्रेस के क्या उद्देश्य थे? इसकी प्रारम्भिक नीति को उदारवादी नीति क्यों कहा जाता है? इसका परित्याग करके उग्र राष्ट्रवाद की नीति क्यों अपनायी गयी?
  53. प्रश्न- उदारवादी युग में कांग्रेस के प्रति सरकार का दृष्टिकोण क्या था?
  54. प्रश्न- भारत में लॉर्ड कर्जन की प्रतिक्रियावादी नीतियों ने किस प्रकार उग्रपंथी आन्दोलन के उदय व विकास को प्रेरित किया?
  55. प्रश्न- उदारवादियों की सीमाएँ एवं दुर्बलताएँ संक्षेप में लिखिए।
  56. प्रश्न- उग्रवादी आन्दोलन का मूल्यांकन कीजिए।
  57. प्रश्न- भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के 'नरमपन्थियों' और 'गरमपन्थियों' में अन्तर लिखिए।
  58. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन पर विस्तृत विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- कांग्रेस के सूरत विभाजन पर प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- अखिल भारतीय काँग्रेस (1907 ई.) में 'सूरत की फूट' के कारणों एवं परिस्थितियों का विवरण दीजिए।
  61. प्रश्न- कांग्रेस में 'सूरत फूट' की घटना पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  63. प्रश्न- कांग्रेस की स्थापना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  64. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- स्वदेशी विचार के विकास का वर्णन कीजिए।
  66. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- स्वराज्य पार्टी की स्थापना किन कारणों से हुई?
  68. प्रश्न- स्वराज्य पार्टी के पतन के प्रमुख कारणों को बताइए।
  69. प्रश्न- कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में कांग्रेस के द्वारा घोषित किये गये उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
  70. प्रश्न- कांग्रेस सच्चे अर्थों में राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व करती थी, स्पष्ट कीजिये।
  71. प्रश्न- दाण्डी यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  72. प्रश्न- मुस्लिम लीग की स्थापना एवं नीतियों पर प्रकाश डालिए।
  73. प्रश्न- मुस्लिम लीग साम्प्रदायिकता फैलाने के लिए कहाँ तक उत्तरदायी थी? स्पष्ट कीजिए।
  74. प्रश्न- साम्प्रदायिक राजनीति के उत्पत्ति में ब्रिट्रिश एवं मुस्लिम लीग की भूमिका की विवेचना कीजिये।
  75. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना द्वारा मुस्लिम लीग को किस प्रकार संगठित किया गया?
  76. प्रश्न- लाहौर प्रस्ताव' क्या था? भारत के विभाजन में इसकी क्या भूमिका रही?
  77. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना ने किस प्रकार भारत विभाजन की पृष्ठभूमि तैयार की?
  78. प्रश्न- मुस्लिम लीग के उद्देश्य बताइये। इसका भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम पर क्या प्रभाव पड़ा?
  79. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना के राजनीतिक विचारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- मुस्लिम लीग तथा हिन्दू महासभा जैसे राजनैतिक दलों ने खिलाफत आन्दोलन का विरोध क्यों किया था?
  81. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के क्या कारण थे?
  82. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के क्या परिणाम हुए?
  83. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन पर प्रथम विश्व युद्ध का क्या प्रभाव पड़ा, संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
  84. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान उत्पन्न हुए होमरूल आन्दोलन पर प्रकाश डालिए। इसकी क्या उपलब्धियाँ रहीं?
  85. प्रश्न- गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन क्यों प्रारम्भ किया? वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- लखनऊ समझौते के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
  87. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध का उत्तरदायित्व किस देश का था?
  88. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध में रोमानिया का क्या योगदान था?
  89. प्रश्न- 'लखनऊ समझौता, पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  90. प्रश्न- 'रॉलेक्ट एक्ट' पर संक्षित टिपणी कीजिए।
  91. प्रश्न- राष्ट्रीय जागृति के क्या कारण थे?
  92. प्रश्न- होमरूल आन्दोलन पर संक्षित टिपणी दीजिए।
  93. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवादी और प्रथम विश्वयुद्ध पर संक्षित टिपणी लिखिए।
  94. प्रश्न- अमेरिका के प्रथम विश्व युद्ध में शामिल होने के कारणों की व्याख्या कीजिए।
  95. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के बाद की गई किसी एक शान्ति सन्धि का विवरण दीजिए।
  96. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध का पराजित होने वाले देशों पर क्या प्रभाव पड़ा?
  97. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध का उत्तरदायित्व किस देश का था? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- गदर पार्टी आन्दोलन (1915 ई.) पर संक्षित प्रकाश डालिए।
  99. प्रश्न- 1919 का रौलट अधिनियम क्या था?
  100. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के सिद्धान्त, कार्यक्रमों का संक्षित वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- श्रीमती ऐनी बेसेन्ट के कार्यों का मूल्यांकन व महत्व समझाइये |
  102. प्रश्न- थियोसोफिकल सोसायटी का उद्देश्य बताइये।

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